इस भरे-पूरे जगत में
अकेलेपन की पीड़ा वो जानता है
जो बेबस है इस क़दर
कि काश पूछ पाता एक बार किसी से
कि "तू ठीक तो है!"
हार जाता जब दुनिया का विज्ञान
तब कुदरत देती अनमोल उपहार
और अकेलेपन में डूबा
यकायक महसूस करने लगता वो
उसके कदमों की आवाज़।
ये बात अलग है
कि बढ़ जाता इससे और भी
उसका अकेलापन, उसकी अपनी पीड़ा।
प्रेम गली अति साॅंकरी, या में दो न समाय...
केटी
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