माना कि मुझ में सुगंध नहीं
कोई मुझे घर की बगिया में रखता नहीं
लोग डरते हैं छूने से भी कि जहरीला हूॅं,
पर इस सबके बाद भी
उग आता हूॅं मैं रास्ते के किनारे
कचरे के ढेर के बीच।
हाॅं, इस सबके बाद भी
प्रकृति की सुंदरता में मिलाता हूॅं
मेरा भी एक रंग,
खड़ा हूॅं पूरी तरह सजधज के।
केटी
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