मन की धारा ...... जैसी भी बह निकली ...... कुछ कविताएं, कुछ कहानियाँ, कुछ नाटक ........ जो कुछ भी बन गया ........ मुझे भीतर तक शीतल कर गया ......
प्रतीक्षा के पल
भीगे अहसासों के बादल
जीवन मौन का महारास
पीड़ा लहराती आँचल।
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