शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

साठ पार का आदमी

(डाॅक्टर सत्यनारायण के कविता-संग्रह 'साठ पार' को पढ़ते हुए...) 

लिख ही नहीं पाता कविता 

साठ पार का आदमी 

जैसे ही लिखने बैठता है

उसके भीतर का आठ पार वाला

अचानक उसकी कलम छीन

रंग जाता है पूरा पन्ना 

और शरारती नजरों से देख

गायब हो जाता है। 

और तब अक्सर खोया-खोया ताकता, 

रात भर जागता रहता है

साठ पार वाला आदमी। 

केटी
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