वो कविता रचना मेरे कवि!
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धन्यवाद मेरे कवि!
कि तूने अहसास करवाया मुझे
मेरी रगों तक पैठ चुके अँधेरे का,
अँधेरे के खौफ का,
स्याह काली पड़ती मेरी रूह का।
पर मेरे प्रिय कवि!
एक संकेत-भर कर देता,
कुछ शब्द दे देता
कर लेता जिससे मैं उजाले का संधान।
प्रतीक्षा करूँगा मैं प्रिय कवि!
कल और एक कविता की
चाँद की, उजाले की, भविष्य की।
केटी
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