गांव का पुराना घर नया हो गया
देसावर में पैसा कमा बरसों बाद बेटा घर आया
मिट्टी के कैलूड़े वाले छपरे की जगह चमचमाता टिन-शेड पड़ा
गारे और गोबर से लिपा आंगन खोद सफेद झक मार्बल की टाइलें लगीं
मूंज के माचे के पास चार सफेद प्लास्टिक की कुर्सियां,
ऐसे ही जाने और क्या क्या हुआ
घर बदल गया पूरा का पूरा।
बेटा गर्व से तणका हो कभी बाहर से निहारे कभी भीतर से
जागण दिलवाया, भैरूजी को पूजा और जीमण किया।
बींदणी, टाबर-टोली, यार-दोस्त सब राजी
पर डोकरा उदास, अबोला खिसियाता बार बार एक ही बात सोचे
"आंगणा में टाइलाॅं तो बिड़ाय दी पण डोकरी ने चेतो रेवे कोनी,
कदेई पड़ जाई तो कोजी होई!"
केटी
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