एक घर है मन
आते हैं, जाते हैं मेहमान- विचार हैं।
कुछ मेहमान रहते लम्बे समय तक घर में
कुछ लौट जाते कुछ समय रहकर
कुछ केवल रखते पैर अंदर
और चल देते तुरंत उल्टे मुँह।
मेहमानों से होती घर में चहल-पहल
शान्त घर लगता अशान्त।
मैं देखता रहता हूँ आते जाते मेहमानों को
या कभी कभार खाली घर को भी
शायद देखना ही मेरी नियति है।
मेहमानों से ठुँसा पड़ा है घर
घर का मालिक मैं, दूर खड़ा हूँ घर से
जाऊँ कैसे भीतर।
केटी
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