जिन्दगी क्या है
कुछ नहीं
एक लम्बा इंतजार
एक सुनहरा धोखा
जिसे मन चाहे खाना बार बार।
जिन्दगी एक बंद ब्रैकेट
जिसे खोलने में गणित के नियम हार जाते हैं
या कि है ये ऐसी भूलभुलैया
जहाँ हर गली में भटकन है
अनंत भटकन, नहीं पहुँचती जो कहीं भी।
और इस जिन्दगी में मैं
जैसे बेनाम उदासियों के लिफाफे ढो रहा
घूमता है हर रोज यहाँ वहाँ
कोई अभिशप्त डाकिया।
केटी
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