शनिवार, 7 अगस्त 2021

धुंधली रेखाएं

पुरानी-सी एक उधड़ी हुई काॅपी, 

काॅपी का एक बहुत पुराना पन्ना,

पन्ने पर बहुत धुंधला-सा एक रेखाचित्र।

रेखाचित्र तो वो सिर्फ उसे दिखता था

लोगों के लिए थीं कुछ आधी-अधूरी रेखाएं,

रेखाएं, जो कि खो चुकी थीं अपना मूल आकार।

जाने कितनी बार उन्हें मिटा कर साफ़ कर देने की कोशिश की,

हर बार जितना ज़्यादा ज़ोर लगाया 

दर्ज हो गई उतनी ही बार अगले पन्ने पर।

हो गई कुछ और ज्यादा धुंधली, कुछ और ज्यादा आकारहीन,

किन्तु मिटी नहीं, मिटती ही नहीं।

लगता है काॅपी फट जाने पर भी बनी रहेंगी ये,

जैसे कामनाएं पीले जंगली फूल बन उग आती हैं कब्र पर।

केटी
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बुधवार, 28 जुलाई 2021

चिन्ता

गांव का पुराना घर नया हो गया

देसावर में पैसा कमा बरसों बाद बेटा घर आया

मिट्टी के कैलूड़े वाले छपरे की जगह चमचमाता टिन-शेड पड़ा

गारे और गोबर से लिपा आंगन खोद सफेद झक मार्बल की टाइलें लगीं

मूंज के माचे के पास चार सफेद प्लास्टिक की कुर्सियां,

ऐसे ही जाने और क्या क्या हुआ

घर बदल गया पूरा का पूरा।

बेटा गर्व से तणका हो कभी बाहर से निहारे कभी भीतर से

जागण दिलवाया, भैरूजी को पूजा और जीमण किया।

बींदणी, टाबर-टोली, यार-दोस्त सब राजी

पर डोकरा उदास, अबोला खिसियाता बार बार एक ही बात सोचे

"आंगणा में टाइलाॅं तो बिड़ाय दी पण डोकरी ने चेतो रेवे कोनी,

कदेई पड़ जाई तो कोजी होई!"

केटी
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मंगलवार, 20 जुलाई 2021

भुलाना

कोई कभी किसी को भला भुला पाता है!! 

वो जिसे हम कहते हैं भुलाना,

दरअसल होता है खुद से छलावा,

जबकि भुलाने की कोशिश में,

 हम उसे अपनी यादों में कहीं और गहरा कर रहे होते हैं।

केटी
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मंगलवार, 13 जुलाई 2021

छोटे दुख

छोटे दुखों का बयां 

अक्सर छोटी कविताओं में नहीं हो पाता।

छोटे दुख बड़े अजीब होते हैं,

जैसे, "सुबह से उसने बात ही नहीं की!"

या कि, "मैं आया तब तक उसने खाना खा लिया!" 

या , "वो मेरी तरह क्यों नहीं सोचती!"

या फिर, "मैं उसे फ़ोन करना भूल क्यों गया!"

ऐसे जाने कितने छोटे दुख 'क्यों','क्यों नहीं', में लिपटे रहते हैं।

उतरने को होते हैं जब ये कविता में

पसर जाती हैं पंक्तियां, फैल जाते हैं वाक्य,

जैसे कोई पक्के रागों का गायक देर तक लेता रहता है आलाप

बिखेरता रहता है 'मा पा धा नी सा' की आवृत्तियां,

तब कहीं शुरू कर पाता है राग के बोल।

छोटे दुखों का बयां 

कविता में बड़ा ही दुरूह है मेरे दोस्त!

पंक्तियां उलझती जाती हैं एक दूजे में

और वो बित्ता-सा दुख

दूर छिटका खड़ा मुस्कुराता रहता है

किसी शरारती बच्चे की तरह।

केटी
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अधूरा वाक्य

किसी विदा की वेला में

कोई अधूरा छूट गया वाक्य

दुनिया का सबसे खूबसूरत वाक्य है,

क्योंकि दोस्त मेरे!

अधूरे वाक्य में छुपी होती है संभावनाएं

तमाम खूबसूरत शब्दों की।

केटी
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गुरुवार, 17 जून 2021

भेड़िया मुझे नहीं खाएगा

वो एक खड़ा है डट कर 

भेड़िए के सामने।

एक छुपा है अपने घरौंदे में,

एक बेफिक्र है कि भेड़िए का मुंह उसकी तरफ नहीं है,

एक चाहता है भेड़िया भाग जाए, पर वो मशाल नहीं जलाता,

पेंटिंग बनाता है मशाल की, अग्नि-चित्रों की,

एक कविताएं लिख बाहर फैंक देता है अपनी आरामगाह से,

चाहता है कि लोग पढ़ें, जगें और भेड़िए से भिड़ें,

वो एक जो खड़ा है डट कर

भेड़िए के सामने

जान लगा कर लड़ेगा और मरेगा,

भेड़िया उसका खून पीएगा, नोचेगा गोश्त,

फिर मुड़ेगा

उस दूसरे, तीसरे और चौथे आदमी की ओर,

जंगल का राज जानते नहीं वे

कि भेड़िया पहले एक को पचाता है

फिर दूसरी ओर मुंह करता है।

केटी
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प्यासे पीर-2

अक्सर जो पुकारते हैं बादलों को 

वे देखते हैं बादलों को बरसता

दूर, बहुत दूर कहीं।

प्यास होती जाती सघन

सूखता कंठ, उतरती ऑंखों में नमी।

दिन, महीने, बरस बीतते

अनबुझ प्यास लिए नम ऑंखों से देखते जिस ओर

उसी पल, ठीक वहीं बरस जाता बादल का कोई नन्हा टुकड़ा,

आशिकों की बिरुदावली में वे कहलाते प्यासे पीर।

केटी
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