तो लो मैंने करली तैयारी
सजा लिए साज
संगीत बहेगा अब।
ढोलक, तबला, सितार, बाँसुरी, तानपुरा
ठक-ठक, खन-खन, पीं-पीं
सुर मिला रहे हैं सब।
आलाप छेड़ने से पहले
जरूरी है साजों का
एक सुर में होना।
सातवें आसमान से उतर रही हैं राग-रागिनियाँ
घेरे खड़ी हैं मुझे
चाहिए उन्हें मेरा स्वर।
मैं कभी खीजता, कभी होता उदास
करता भरसक कोशिश
साजों को सुर में लाने की।
सदियाँ बीत गई हैं
मेरी कोशिश जारी है
बेसुरे हैं अब तक सारे साज
ढाई सुर से चूक रहे हैं।
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