मन की धारा ...... जैसी भी बह निकली ...... कुछ कविताएं, कुछ कहानियाँ, कुछ नाटक ........ जो कुछ भी बन गया ........ मुझे भीतर तक शीतल कर गया ......
किसी दिन
सूरज की पहली किरण
चाय की चुस्कियों के बीच
अखबार के पहले पन्ने पर
छपी खबर तुम्हें चौंकाएगी
"कल ढलती रात
एक पागल आशिक ने
कत्ल कर डाला
चाँद को"
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