दोहे
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टूटा तारा कह गया, साथी से इक बात।
जब तक तन में आग है, जीत न पाए रात।।
पन्ना पन्ना पढ़ गए, जीवन एक किताब।
हर पन्ने पे दर्ज है, एक अबूझ हिसाब।।
इक दूजे को निरखलें, बात करे अब कौन।
क्षण के इस मधुमास में, प्रीत सिखाती मौन।।
पानी पी कौवा उड़ा, जगा गया विश्वास।
कंकर कंकर डालकर, बुझा सकोगे प्यास।।
प्यासी धरती मेघ को, ताक़ रही दिन रात।
करुणाकर अब दीजिये, रिमझिम की सौगात।।
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