शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

वो कविता रचना मेरे कवि!

वो कविता रचना मेरे कवि!
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धन्यवाद मेरे कवि!

कि तूने अहसास करवाया मुझे

मेरी रगों तक पैठ चुके अँधेरे का,

अँधेरे के खौफ का,

स्याह काली पड़ती मेरी रूह का।

पर मेरे प्रिय कवि!

एक संकेत-भर कर देता,

कुछ शब्द दे देता

कर लेता जिससे मैं उजाले का संधान।

प्रतीक्षा करूँगा मैं प्रिय कवि!

कल और एक कविता की

चाँद की, उजाले की, भविष्य की।

केटी
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मंगलवार, 10 सितंबर 2019

संकल्प

संकल्प
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प्रेम गीत रचा जाएगा

किन्तु उससे पहले सुननी होगी

युद्ध की दास्तान

झेलने होंगे अनेकों घाव।

युद्ध के लिए

करने होंगे पार न जाने कितने बीहड़

क्रान्ति के आखर माँडते हुए

रंगने होंगे न जाने कितने आँगन

कितने नुक्कड़ों पर गुँजाने होंगे आह्वान के गीत

बजाते हुए डफ, मिलाते हुए ताल।

हर चीज मिट जाए

पर यह संकल्प जिन्दा रहेगा

कि कुछ भी हो जाए ऐ दोस्त!

ये सफर तय किया जाएगा

और आखिर एक दिन

प्रेम गीत रचा जाएगा।

केटी
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शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

जिज्ञासा

बच्चा जब घुटनों पर चलता है

सरकता, किलकता, मचलता रहता है

अचानक ठहर कर घुमाता है गर्दन

लक्ष्य करता किसी चीज को

अपलक ताकता रहता है।

वो चाहे खुद की परछाई हो

बूढ़ी दादी या मैं-मैं करती बकरी

या कोई टूटा हुआ खिलोना।

अपलक ताकते बच्चे की आँख

हो जाती फैल कर अंडाकार,

पुतलियाँ बदल जाती एक प्रश्नवाचक चिह्न में

वहीं से शुरू होता सफर

जिज्ञासा के 'जि' का।

केटी
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