रविवार, 11 सितंबर 2022

सपने

देखना तुम,

तुम देखना वे सपने भी,

जो कोई इसलिए नहीं देख पाया

कि उसकी आंखें बहुत छोटी थीं, उन सपनों से।

देखना तुम वे भी सपने,

जो शायद कोई देखते देखते अधूरे छोड़ गया,

जीवन की आपाधापी और खुद की उहापोह में,

शायद निकाल ही नहीं पाया समय,

समय- सपने को पूरा देख पाने का।

देख सको तो देखो वे सारे सपने,

अनछुई रह गईं जिनसे क‌ई जोड़ी आंखें,

वरना दोस्त मेरे!

ज़िंदगी में अपने सपने तो हर आंख देखती ही है।

केटी
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रविवार, 28 अगस्त 2022

आक (आकड़ा) का फूल

माना कि मुझ में सुगंध नहीं

कोई मुझे घर की बगिया में रखता नहीं

लोग डरते हैं छूने से भी कि जहरीला हूॅं,

पर इस सबके बाद भी

उग आता हूॅं मैं रास्ते के किनारे

कचरे के ढेर के बीच।

हाॅं, इस सबके बाद भी

प्रकृति की सुंदरता में मिलाता हूॅं

मेरा भी एक रंग,

खड़ा हूॅं पूरी तरह सजधज के।

केटी
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