शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

प्यासे पीर-1

जाने क्यों...! 

भीतर जिनके देर तलक

होती रहती है बरसात,

भीगा-सा रहता है मन,

होते वे ही प्यासे-पीर।

प्यास में उनकी होता असर,

असर भी इस कदर

कि भर तन्हाई में डूब

देखते जब बादलों को

घटता चमत्कार

बरस उठते बादल

दूर देस में किसी प्यासे के भीतर।

केटी
****

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें