देखना तुम,
तुम देखना वे सपने भी,
जो कोई इसलिए नहीं देख पाया
कि उसकी आंखें बहुत छोटी थीं, उन सपनों से।
देखना तुम वे भी सपने,
जो शायद कोई देखते देखते अधूरे छोड़ गया,
जीवन की आपाधापी और खुद की उहापोह में,
शायद निकाल ही नहीं पाया समय,
समय- सपने को पूरा देख पाने का।
देख सको तो देखो वे सारे सपने,
अनछुई रह गईं जिनसे कई जोड़ी आंखें,
वरना दोस्त मेरे!
ज़िंदगी में अपने सपने तो हर आंख देखती ही है।
केटी
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