रविवार, 12 नवंबर 2023

यादों की गाड़ी

यादों की गाड़ी-1
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जब कोई बस, कोई रेल या कोई जहाज

नहीं ले जा पाता तुम तक,

तब होता हूॅं सवार मैं

यादों की गाड़ी पर।

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यादों की गाड़ी-2
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ध्वनि और प्रकाश के वेग से तेज

काल और समय को अतिक्रमित कर

बहती चलती यादों की गाड़ी।

ज्यों-ज्यों चलती त्यों-त्यों फैलती,

फैलती ही चली जाती अंतरिक्ष की तरह,

और मैं

यादों के रंग-रूप-ध्वनि-भाव की अर्गलाओं को खोल

उतरता जाता गहरे भंवर में,

चित्र रुलाते, चित्र हंसाते, चित्र करते मोहित।

तुम तक पहुंचने की प्यास

और यादों की गाड़ी का सफर

बना देता है पागल, कर देता दीवाना।

केटी
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