रविवार, 30 सितंबर 2018

चन्द्र-दर्शन

चन्द्र-दर्शन
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पंचमी का चाँद भी

इतना बड़ा होता है क्या!

पूर्णिमा के बराबर न सही

पर कुछ कुछ वैसा ही

या पाव भर कटा हुआ कहलो।

देखते ही ध्यान आता है वो हिस्सा

जो है ही नहीं।

इसी में छुपी है

पंचमी से पूर्णिमा तक की भावी यात्रा

दस तिथियाँ, दस दिन-रात

कितनी बार उगने और कितनी ही बार बुझने की पीड़ा

पूर्णता को पाने की चिरंतन अकुलाहट।

काले आसमान में टँगा हुआ

ये पाव भर कटा हुआ चाँद

करवा गया मूर्त में अमूर्त के दर्शन,

पंचमी का यह चाँद

कोई दार्शनिक तो नहीं शैलेन्द्र ढड्डा?

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