गुरुवार, 11 जुलाई 2019

स्पर्श

कण-कण कर बदलता

बदलता जाता निरंतर

और एक वो क्षण ऐसा भी आता

कि बदल जाता समूचा मैं एक भीनी सुगंध में।

होता यह तब

जब साँसों के एकदम करीब आ

छू लेता वो मुझे।

केटी
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