रविवार, 1 मार्च 2015

उड़ान

उड़ान …!
मन पंछी व्याकुल
उड़ना चाहे
पर फैलाए
नभ को नापे।
प्राण प्रफुल्लित
तन मस्ताना
 मन आनंदित
रहना चाहते हर पल हर पल ।
ए आसमान!
विलीन हो जाऊँ
तुझी में किसी दिन
रह जाए शेष
केवल बस उड़ान ।



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