सोमवार, 10 अप्रैल 2017

तू यहाँ है, तू वहाँ भी

तू यहाँ है, तू वहाँ भी।

जीत में तू हार में तू, हार के भी पार है तू,

द्वेष में तू प्यार में तू, प्यार की मनुहार में तू।

रूठ कर तेरी है ना भी, मान कर तेरी है हाँ भी,

दृष्टि जाती है जहाँ भी, तू यहाँ है तू वहाँ भी।


बादलों के पार बैठा, डोर हाथों में लिए तू 

डोर पर नाचे पुतलियां, नाचने वाला भी है तू 

इस तरफ से बोलता तू, उस तरफ से सुन रहा तू 

सृष्टि का नर्तन जहाॅं भी, तू यहाॅं है तू वहाॅं भी।


मीत तू मनमीत भी तू, प्रीत का संगीत भी तू 

चल रहा है जगत किन्तु, पथ तू ही है पथिक भी तू 

खोजने की प्यास है तू, और बुझाता प्यास भी तू 

भाव का बन्धन जहाॅं भी, तू यहाॅं है तू वहाॅं भी।


केटी 

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